विजय सिंह- सादगी और रहस्य की तलाश
बनारस के समकालीन कला परिदृश्य में विजय सिंह एक प्रमुख नाम हैकाशी हिन्दू विश्वविद्यालय में व्यावहारिक कला के शिक्षक होने के बावजूद वे चित्रकला के एक प्रयोगधर्मी कलाकार हैं। उन्होंने प्रचुर चित्रों का निर्माण किया एवं कर रहे हैं तथा कई सुन्दर मूर्तिशिल्प उकेरे हैं। श्वेत श्याम रेखांकन-चित्रों के लिए …
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शास्त्रीय संगीत में नहीं रही पहले जैसी सच्चाई
गिरिजा देवी से आलोक पराड़कर की बातचीत - आज यदि कोई संस्कृत में भाषण करे तो उसे गिनती के श्रोता मिलेंगे लेकिन वहीं यदि कोई सड़क पर लाठियां फेर कर करतब दिखाने लगे तो काफी भीड़ जुट जाएगी। शास्त्रीय संगीत के साथ भी ऐसा ही है। यह भीड़ के लिए नहीं है। इसका एक खास वर्ग है। हां, यह सच है कि नई पीढ़ी का झुक…
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संगत में जो एक सच्चाई थी
अप्पा जी (गिरिजा देवी) का एक पुराना साक्षात्कार पढ़ रहा था। ये साक्षात्कार मैंने तब का है, जब  वह दूरदर्शन केन्द्र के बुलावे पर लखनऊ आईं थीं, करीब डेढ़ दशक पहले। इस समारोह में उनके साथ तबले पर प्रसिद्ध तबला वादक पंडित किशन महाराज थे और बनारस के दो दिग्गज कलाकारों की इस प्रस्तुति को दूरदर्शन ने जुगल…
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इस रंगमंच पर भी तुम अनूठे हो पापा!
---------------------------- प्रसिद्ध रंगकर्मी रंजीत कपूर को हिन्दी रंगमंच का राजकपूर कहा जाता रहा है। उनके प्रशंसकों का दायरा कई पीढ़ियों तक फैला है। अगर ऐसा न होता तो उनसे उनके 1977 के नाटक 'बेगम का तकिया' को तीन दशकों से अधिक समय बाद पुनर्जीवित करने का अनुरोध आखिर क्यों होता है? रंगमंच का…
समकालीन कला की अवधारणा
समकालीन कला की अवधारणा ------------------------ रेखा के. राणा किसी भी रचना में समय अनिवार्य तत्व है। रचना के विषय प्रथमतः समय के झरोखे से होकर आते हैं। वस्तुतः विषय तो हमारे चारों ओर उपस्थित हैं, उन्हें ग्रहण करने में रचनाकार की संवेदनशीलता विशेष रूप से माध्यम के रूप में काम करती है। कला के सभी रूप…
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श्याम शर्मा मगध में मथुरा के उत्सवी रंग कुमार दिनेश लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण की भूमि मथुरा (यूपी) के गोवर्धन कस्बा में जन्में छापा-कलाकार श्याम शर्मा ने 1966 में प्राचीन मगध की भूमि पाटलिपुत्र को अपनी कला साधना का केंद्र बनाया और आधी सदी से भी अधिक लंबी कला यात्रा के बाद आज 77 साल की उम्र में वे द…
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